मा.केंद्रीय वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे ने बताया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन में पर्याप्त अनुभव प्राप्त हो चुका है और अब राज्यों के साथ परामर्श करके दरों को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है।
मा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली और राज्य सरकारों के मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद ने जीएसटी दरों में बदलाव और स्लैब कम करने का सुझाव देने के लिए एक मंत्रिसमूह (जीओएम) का गठन किया है। दरें और स्लैब में संशोधन की रिपोर्ट लंबे समय से लंबित है। दिसंबर में परिषद की अंतिम बैठक में
उम्मीद थी कि मंत्री समूह अपनी रिपोर्ट सौंप देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिक्की की बजट बाद की बैठक में उद्योग प्रतिनिधि के सवाल के जवाब में पांडे ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद कर प्रणाली में पारदर्शिता आई है। इस प्रक्रिया के आगे बढाने के लिए परिषद में राज्यों के साथ परामर्श की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दरों को युक्तिसंगत बनाने का कार्य चल रहा है और जल्द पूरा हो जाएगा। जीएसटी में वर्तमान में पांच स्तरीय कर संरचना है, जिसमें 3, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के 'स्लैब' हैं। विलासिता और सीन वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की उच्चतम दर से कर लगाया जाता है, जबकि पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर सबसे कम कर लगाया जाता है। तथा आवश्यक वस्तुएं 5 प्रतिशत के निम्नतम स्लैब में हैं।