केरल में 20 जनवरी 2025 से 10 लाख रुपये से अधिक मूल्य के सोने और अन्य कीमती धातुओं, पत्थरों के परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए केरल राज्य कर आयुक्त ने 1 जनवरी, 2025 से सोने और कीमती धातुओं, पत्थरों के अंतर-राज्यीय परिवहन के लिए ई-वे बिल प्रणाली को अधिसूचित किया था। हालाँकि, इससे पहले ई-वे बिल बनाने के पोर्टल में तकनीकी समस्याओं के कारण सोने और अन्य कीमती धातुओं के लिए ई-वे बिल लागू नहीं किया जा सका था। अब 20 जनवरी 2025 से लागू इस प्रणाली में सोने और अन्य कीमती धातुओं के लिए ई-वे बिल (ईडब्ल्यूबी) बनाने का एक नया विकल्प पेश किया गया है। यह सुविधा केरल राज्य के करदाताओं को ई-वे बिल बनाने के लिए उपलब्ध कराई गई है। केरल सरकार ने अध्याय 71 (नकली आभूषणों को छोड़कर) के अंतर्गत वर्गीकृत वस्तुओं की केरल राज्य के भीतर आवाजाही के लिए अधिसूचना जारी की है।
केरल ने सोने के लेनदेन में कर चोरी पर नकेल कसने के लिए जीएसटी परिषद में इस उपाय का प्रस्ताव रखा था। परिषद ने पिछले वर्ष इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, जिससे इसके कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त हो गया। जबकि स्वर्ण व्यापारियों ने इस विनियमन के संभावित प्रशासनिक और वित्तीय बोझ के बारे में चिंता व्यक्त की है, प्राधिकरण सूत्रोने ने कहा था कि ये उपाय उद्योग में पारदर्शिता और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
इस संबंध में, जीएसटीएन ने दिनांक 27.01.2025 को निर्देश जारी करके स्पष्ट किया है कि ई-वे बिल के तहत अध्याय 71 (नकली आभूषण एचएसएन 7117 को छोड़कर) के वस्तुओं को शामिल करते वक्त विकल्प "ईडब्ल्यूबी फॉर गोल्ड" के अनुसार ही उक्त वस्तुओं के लिए ई-वे बिल तैयार किया जा सकेगा । यह विनियमन केवल केरल के भीतर इन वस्तुओं के राज्य के अंतर्गत परिवहन के लिए लागू है। नकली आभूषण (एचएसएन 7117) के करदाता ई-वे बिल प्रणाली में सामान्य विकल्प का उपयोग करके इस के अंतर्गत आने वाले सामानों के लिए ई-वे बिल बनाना जारी रख सकते हैं।