22 जुन को हुई 53वीं बैठक में जीएसटी परिषद ने सामान्य बीमा क्षेत्र की बीमा कंपनियों के सह-बीमा और पुनर्बीमा (को-इंश्योरेंस और री-इंश्योरेंस) को जीएसटी के दायरे से बाहर करने का बड़ा फैसला लिया , जिसके चलते 18,000 करोड़ रुपये से अधिक कर मांग हेतू जारी कारण बताओ नोटिसोंसे बीमा क्षेत्र को राहत मिल सकती है ।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल, जो सामान्य बीमा कंपनियों की शीर्ष संस्था है, का कहना था कि सह-बीमा और पुनर्बीमा कमीशन पर जीएसटी की मांग का कोई कानूनी आधार नहीं है। इस बीमा व्यवस्था में, सह-बीमाकर्ता (लीडर और फोलोअर) जोखिम को कवर करते हैं । लीडर बीमाकर्ता संपूर्ण प्रीमियम एकत्र करता है और उस पर जीएसटी का भुगतान करता है और फॉलोअर को प्रीमियम वितरित करता है।
जबकि जीएसटी विभाग के अनुसार जीएसटी कानुन के तहत फॉलोअर बीमाकर्ता का हिस्सा एक "बाहरी आपूर्ति"(outword supply) है, फॉलोअर बीमाकर्ता को जीएसटी का भुगतान करना आवश्यक है, भले ही लीडर बीमाकर्ता पहले से ही सकल प्रीमियम पर जीएसटी का भुगतान कर रहा हो।
लेकिन अब जीएसटी काउंसिल के इस अहम् फैसले से सामान्य बीमा क्षेत्र की बीमा कंपनियों को बड़ी राहत मिली है ।टैक्स क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी विभाग द्वारा जारी किए गए हजारों करोड़ के कारण बताओ नोटिस को अब वापस लेना होगा ।